अमर्त्य सेन जिन्होंने अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार हंसिल किया हैं. उन्होंने ‘जय श्री राम’ के नारे पर टिप्पणी करते हुए कहा की पहले बंगाल में ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं सुनता था. उन्होंने कहा की मुझे लगता हैं की इस नारे का उपयोग अब लोगों को पिटने के लिए हो रहा हैं.
पूरा मामला
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना हैं की ‘जय श्री राम’ के नारे का बंगाल की संस्कृति से कुछ लेना देना नहीं हैं. नोबेल पुरस्कार वेजिता अमर्त्य सेन नें कोलकाता के जादवपुर विश्वविधालय में कहा की ‘जय श्री राम’ के नारे का उपयोग अब लोगों को पिटने के लिए हो रहा हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर काफी विवाद हो गये हैं. लोग ममता बेनर्जी को ‘Jai Shree Ram’ लिखे पत्र भेज रहे है. यह नारा राजनीतिक बहँस के दायरे में शामिल हो चुका हैं. लोकसभा चुनावों से लेकर अबतक भाजपा की रैलियों व जनसभाओ में ‘जय श्री राम’ का नारा प्रमुखता से लगाया जा रहा हैं. तृणमूल कांग्रेस का भाजपा पर आरोप हैं की भाजपा लोगों के ध्रुविकरण करने के लिए इस नारे का उपयोग कर रही हैं.
Nobel laureate Amartya Sen in Kolkata: I haven’t heard Jai Shri Ram earlier. It is now used to beat up people. I think it is has no association with Bengali culture. Nowadays, Ram Navami is celebrated more in Kolkata which I haven’t heard earlier. (July 5) pic.twitter.com/s10MPWj9un
— ANI (@ANI) July 6, 2019
नोवेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन नें कहा की उन्होंने अपनी 4 साल की पोती से पूछा की तुम्हारी पसंदीदा देवी कौन हैं ? इसपर उनकी पोती नें कहा की माँ-दुर्गा. अमर्त्य सेन का कहना हैं कि मां दुर्गा की जो अहमियत है उसकी तुलना रामनवमी से नहीं की जा सकती है.