News Josh Live, 25 Oct, 2020
महिला को पति से तलाक लिए बिना अपने प्रेमी के साथ रहना व डीड आफ लिव-इन रिलेशनशिप बनाना भारी पड़ गया है। महिला ने पति व उसके परिवार से जान को खतरा बता कर हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। जिसपर महिला को फटकार लगाते हुए उस पर जुर्माना भी लगाने का आदेश दे दिया है।
हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज बजाज द्वारा सिरसा निवासी एक महिला की याचिका खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया गया। वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता राज बाला की शादी दिनेश कुमार से साल 2011 में हुई थी। इनके के दो बच्चे थे। याचिकाकर्ता की मानें तो शादी उसकी मर्जी के खिलाफ की गई थी, क्योंकि उसका पहले से ही लिव-इन पार्टनर के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। लेकिन फिर भी उसने परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए शादी को स्वीकार कर ली थी।
इतना ही नहीं बल्कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को ये भी बताया कि उसका पति शराब व ड्रग्स का सेवन करता है। साथ ही वह स्वभाव से भी झगड़ालू है। उसने ये शादी तोड़ने की भी कोशिश की थी, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे उसके पति के साथ वापस भेज दिया। हालांकि विगत 2 अगस्त को उसने अपने पति का साथ छोड़ने का फैसला किया था। उसके माता-पिता ने उसके फैसले पर आपत्ति जताई, लेकिन उसने अपने प्रेमी के साथ रहना शुरू कर दिया।
याचिकाकर्ता और उसके लिव-इन पार्टनर ने एक लिखित समझौता किया और 13 सितंबर को लिव-इन रिलेशनशिप की डीड कराई। इसके मुताबिक दोनों ने यह घोषणा की कि वे इस डीड पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उनकी स्वतंत्र सहमति और पूर्ण समझ से दोनों पक्ष संबंध में रहेंगे और आगे इस बात पर सहमत होंगे कि वे भविष्य में एक-दूसरे के खिलाफ अदालती कार्यवाही अर्थात दुष्कर्म, घरेलू हिंसा या किसी अन्य वैवाहिक विवाद का मामला शुरू नहीं करेंगे
याचिकाकर्ता और उसके लिव-इन पार्टनर की मानें तो अब महिला का परिवार और उसका पति उनके रिश्ते के खिलाफ हैं और धमकी दे रहे हैं। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि वह अभी भी विवाहित है। उसने सिरसा पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप की डीड बनवाने से लिव इन रिलेशनशिप को वैध नहीं माना जा सकता। यह सब व्याभिचार वाला आचरण है
हाई कोर्ट ने पाया कि महिला के जीवन को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि यह अपवित्र गठबंधन है। इसको कानूनी कवर प्रदान करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जो कानूनी अधिकार का दुरुपयोग है। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए महिला को 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, सिरसा में जमा कराने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सिरसा को आदेश दिया कि महिला से यह राशी वसूली और जमा करना सुनिश्चित करे।